PSSM के बारे में

पिरामिड स्पिरिचुअल सोसायटीज़् मूवमेंट एक गैर-धार्मिक,गैर-सांप्रदायिक और लाभ निरपेक्ष स्वैच्छिक संगठन है जिसका एकमात्र उद्देश्य आनापानसति ध्यान, शाकाहारवाद तथा पिरामिड शक्ति का जन-जन में प्रचार करना है।

पी.एस.एस.मूवमेंट की नींव प्रबुद्ध मास्टर ब्रह्मर्षि पत्रीजी द्वारा सन्‌ 1990 में डाली गयी थी जिसका लक्ष्य आध्यात्मिक और मैत्रीपूर्ण जीवन-पद्धति का प्रचार करना तथा वर्ग,धर्म व प्रांत का विचार किये बिना समस्त मानवजाति को उससे प्राप्त होने वाले लाभों से अवगत कराना था। " कर्नूल स्पिरिचुअल सोसायटी" की सादगीपूर्ण शुरुआत से लेकर अब तक पिरामिड ध्यान मूवमेंट 2000 से भी अधिक स्वतंत्र एवं स्वायत्त पिरामिड स्पिरिचुअल सोसायटीज़ के साथ इस क्षेत्र में अग्रसर है, जिसमें लाखों स्वयंसेवी सदस्य संलग्न तथा सक्रिय हैं तथा भारत के सभी राज्यों तथा अन्य देशों जैसे न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया,यू.एस.ए., यू.के., सिंगापुर, मलेशिया, यू.ए.ई., वियतनाम, मॉरिशियस और श्रीलंका में पहुँच चुका है।

PSSM की गतिविधियाँ/उपलब्धियाँ

ध्यान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।

  • कई लाख निःशुल्क ध्यान कक्षाओं व कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। पिरामिड मास्टर्स ध्यान शिक्षण का कार्य निःशुल्क करते हैं।
  • आज तक ३०,००० से भी अधिक गाँवों, कस्बों और शहरों में ध्यान पहुँचाया जा चुका है।
  • सारे भारत के ७५ से भी अधिक मुख्य कस्बों-शहरों में बड़े पैमाने पर कई सौ बहुदिवसीय ध्यान शिविरों का आयोजन किया गया।
  • पिरामिड वैली इंटरनेशनल, बेंगलुरु में अब तक चार बार आध्यात्मिक मास्टर्स और वैज्ञानिकों का विश्वव्या्पी-महासम्मेलन (ग्लोबल कांग्रेस ऑफ स्पिरिचुअल साइंटिस्ट्‌स) आयोजित किया जा चुका है। G.C.S.S. एक वार्षिक कार्यक्रम है।
  • ध्यान महा यज्ञम् और ध्यान महाचक्रम्‌ जैसे वार्षिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया,जिनमें हज़ारों-लाखों ध्यानियों व मास्टर्स ने भाग लिया।
  • इंडियन फेडरेशन ऑफ स्पिरिचुअल साइंटिस्ट्‌स की ध्वजा के नीचे भारत के अनेक छोटे कस्बों-शहरों में कई स्पिरिचुअल साइंस वर्कशॉप आयोजित की जा चुकी हैं।
  • प्रतिवर्ष पिरामिड वैली इंटरनेशनल, बेंगलुरु में बुद्ध- पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है जिसमें कई हज़ार ध्यानी व मास्टर्स भाग लेते हैं।

आध्यात्मिक साहित्य का प्रकाशन

  • स्पिरिचुअल साहित्य पर कई करोड़ प्रचार-पत्रों, विवरणिकाओं और विज्ञापनों को छापा व वितरित किया गया।
  • पत्रीजी व अन्य प्रबुद्ध पिरामिड मास्टर्स द्वारा लिखी गई कई सौ पुस्तकों का प्रकाशन एवं ऑडियो-विडियो सीडीज़् निकाली गईं।
  • विभिन्न देशों के अनेक स्पिरिचुअल मास्टर्स द्वारा लिखित ५० से अधिक पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद व प्रकाशन हो चुका है।
  • इंग्लिश, हिन्दी व अन्य सात भारतीय भाषाओं में अनेक मासिक, द्वैमासिक व त्रैमासिक स्पिरिचुअल पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है।

ध्यान एवं आध्यात्मिक विज्ञान के अध्यापन केन्द्रों की स्थापना

  • समस्त भारत व शेष विश्व में दस हज़ार से भी अधिक पिरामिड ध्यान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।
  • पूरे भारत में पचास से भी अधिक वृह्द्‌ पिरामिडों तथा पाँच हज़ार से भी अधिक घरों की छ्त के ऊपर पिरामिड बनाये जा चुके हैं।
  • ध्यान व स्पिरिचुअल विज्ञान का एक अध्यापन-केन्द्र बेंगलुरु के निकट स्थापित किया गया है।

फोकस ग्रुप और सामाजिक संगठनों की स्थापना

  • भारत के अनेक राज्यों में पिरामिड यंग मास्टर्स एसोसिएशन की स्थापना की गई जहाँ स्कूलों में बच्चों और कॉलेज़ों में युवाओं को ध्यान सिखाया जाता है।
  • पिरामिड डॉक्टर्स एसोसिएशन की स्थापना। पचास से भी अधिक चिकित्सक आध्यात्मिक स्वास्थ्य केन्द्र चलाते हैं तथा रोगों के उपचार के लिये ध्यान बतलाते हैं।
  • इंडियन फेडरेशन ऑफ स्पिरिचुअल साइंटिस्ट्स्‌ की स्थापना-एक ऐसी संस्था है जो सभी आध्यात्मिक मास्टर्स व वैज्ञानिकों के प्रयत्नों एवं ऊर्जाओं को एकत्र करके एक पाठ्यक्रम में बद्ध करती है जिसे स्कूलों व कॉलेज़ों में पढ़ाया जा सके।

पी.एस.एस.मूवमेंट का इतिहास

ब्रह्मर्षि पत्रीजी द्वारा संस्थापित पिरामिड स्पिरिचुअल सोसायटीज़ मूवमेंट वर्तमान काल में पृथ्वी के सभी प्रमुख नव युग आन्दोलनों में से एक है।

पहली बार ध्यान, वैज्ञानिक आधार पर, ग्रामीण जनता एवं शहरी विशिष्ट-वर्ग को आसानी से समझाया जा सका। पहली बार ‘पिरामिड ऊर्जा’ को विशाल पैमाने पर ‘ध्यान’ के साथ जोड़ा गया। पत्रीजी के असाधारण प्रशिक्षण के अंतर्गत हज़ारों-हज़ारों पिरामिड मास्टर्स ने, आनापानसति ध्यान और पिरामि्ड ध्यान को विश्वव्यापी बनाने जैसे महान्‌ कार्य हेतु, स्वयं को संपूर्ण रूप से समर्पित कर दिया है। पिरामिड मास्टर्स भारत एवं विश्व के कोने-कोने में ‘आनापानसति ध्यान’ और ‘शाकाहारवाद’ का एक चुनौती के रूप में प्रसार व प्रचार कर रहे हैं।

उत्पत्ति

पिरामिड स्पिरिचुअल सोसायटीज़ मूवमेंट प्रारंभ में ब्रह्मर्षि पत्रीजी द्वारा सन्‌ १९९० में भारत के आंध्र-प्रदेश, के जिला मुख्यालय, कर्नुल में " कर्नूल स्पिरिचुअल सोसायटी " के नाम से आरंभ किया गया था। प्रथम पिरामिड जो तीस फुट x तीस फुट के आकार का बना, एक प्रतिष्ठित एवं लोकहितैषी उद्योगपति श्री बी.वी.रेड्डी के सहयोग से, सन्‌ १९९० में कर्नूल में निर्मित किया गया था, उसे " बुद्धा पिरामिड ध्यान केन्द्र " नाम दिया गया । इसके पश्चात्‌, अगले तीन चार वर्षों में,मूवमेंट आंध्रप्रदेश के रायलसीमा के चार मुख्य जिलों - कर्नूल, अनन्तपुर, कड़्प्पा और चित्तूर के अनेक ग्रामों व कस्बों में व्यापक रूप से फैला।

ध्यान आंध्र-प्रदेश

सन्‌ २००० तक, आंध्र-प्रदेश राज्य के प्रायः सभी भागों के प्रमुख शहर ‘आनापानसति ध्यान’ से भरपूर लाभ उठा रहे थे। सन्‌ २००४ तक समस्त आंध्र-प्रदेश राज्य को इसमें सम्मिलित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। सन्‌ २००४ के अंत में "ध्यान आंध्र-प्रदेश" नामक कार्यक्रम आंध्र-प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में औपचारिक समारोह में बहुत हर्षोल्लास एवं धूमधाम से संपन्न हुआ। इस समय तक हज़ारों ग्रामों में लाखों लोगों को सफलतापूर्वक आनापानसति ध्यान से परिचित कराया जा चुका था....जिन सैंकड़ों संपूर्ण रूप से समर्पित पिरामिड मास्टर्स के हार्दिक व ईमानदार प्रयासों से यह संभव हुआ था ... उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद ।

ध्यान भारत

आंध्र-प्रदेश के साथ-साथ सन्‌ १९९८ के प्रारंभ से,पत्रीजी ने पड़ोसी राज्यों-कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश आदि में भी अपना ध्यान केन्द्रित करना आरंभ किया और उसके बाद आने वाले वर्षों में एक वृह्‌त क्षेत्र को समाविष्ट कर लिया गया । सन्‌ २००४ के बाद नवीन राज्यों - अंडेमान / निकोबार, दिल्ली, उत्तरांचल, तमिलनाडू, पंजाब, हिमाचल-प्रदेश, जम्मू व कश्मीर आदि को इसमें सम्मिलित किया गया। इन राज्यों में, शिक्षित सैंकड़ों पिरामिड मास्टर्स ‘आनापानसति ध्यान’ का विस्तार करने में संलग्न हो गए ... और वास्तविक व व्यापक रूप से ‘ध्यान क्रांति’ सारे देश में विस्तार से फैल गई ।

ध्यान जगत

सन्‌ १९९९ में पत्रीजी सर्वप्रथम अन्य देशों के दौरे पर गये,जब उन्होंने सिंगापुर और हांगकांग में पन्द्रह-दिनों की ध्यान कक्षाओं का संचालन किया। सन्‌ २००० से लेकर २००२ तक बहुत सारे ध्यान-शैक्षि्क-सत्रों का संचालन नेपाल की राजधानी काठमांडू में किया जा चुका था। सन्‌ २००४ में पत्रीजी यू.एस.ए. साठ दिनों के दौरे पर गये, वहाँ के दस राज्यों में ध्यान-सत्रों का आयोजन किया। सन्‌ २००५ में पत्रीजी के साथ चालीस पिरामिड मास्टर्स सात दिनों के ‘ध्यान-दौरे’ पर श्री-लंका गये। सन्‌ २००६ में पत्रीजी व पिरामिड मास्टर्स ने अनेक ध्यान-सत्रों का संचालन ‘ऑस्ट्रेलिया के मैल्बर्न व सिड्नी’ में किया। सन्‌ २००७ की फरवरी में सत्रह पिरामिड मास्टर्स का एक समूह पत्रीजी के साथ थिम्पू, भूटान में कक्षाएँ आयोजित करने के लिये गया।

पिरामिड आंध्र-प्रदेश

पी.एस.एस.एम. के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है सर्वत्र पिरामिडों का निर्माण करना। आंध्र-प्रदेश में करीब तीस हज़ार ग्राम हैं। लक्ष्य है कि सन्‌ २०१६ तक हर गाँव में एक पिरामिड का निर्माण अवश्य हो जाए। अभी तक कुछ हज़ार पिरामिड आंध्र-प्रदेश के कई गाँवों, कस्बों और शहरों में बनाये जा चु्के हैं।

पिरामिड भारत

इसके आगे का लक्ष्य है - "पिरामिड भारत"... अर्थात्‌ सन्‌ २०१६ तक ... भारत के सभी राज्यों में, सभी प्रमुख शहरों में उनके अपने ध्यान पिरामिड्स होने चाहिएँ। अब तक अनेक राज्यों में ... छोटे और बड़े ... बहुत सारे पिरामिड बनाये जा चुके हैं।

अंतिम लक्ष्य है ... "पिरामिड जगत" ... अर्थात्‌ सन्‌ २०१६ तक ... संपूर्ण विश्व पिरामिडों से आच्छादित कर दिया जाये।

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